RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -02-Apr-2023

जिस्म

जिस्म ही तो था जिसकी लालसा हर 
किसी के दिल को मेरे सामने ले आई थी।
जिस्म को‌ छूकर मुझे पा लेने की एक 
सोच हर जिस्म में इस कदर उतरी थी 
हर कोई बनकर आशिक मुझे आश्कि
की तस्वीर बना रहा था, एक सिन्दूर के 
रंग से तो एक कबूल है कह मेरे फ़ना 
होने का रंग मेरी कलम से मेरे ही 
एहसासों में भर रहा था। 
जिस्म की ही आग थी जिसमें एक
औरत होने का अस्तित्व तबाह हो
कर बस एक मास के टुकड़े की 
पहचान बन रहा था। 
जिस्म में उतरकर हर कोई मुझे 
जीत लेने का डंका बजा रहा था।

 ‌        राखी सरोज  

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4 Comments

बेहतरीन

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शानदार लिखा है आपने 👌👌

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Milind salve

02-Apr-2023 10:02 PM

बहुत खूब

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